हेपेटाइटिस क्या है?
लिवर में किसी भी तरह की सूजन को हेपेटाइटिस कहा जाता है। काफ़ी ज़्यादा शराब पीने, विषाक्त पदार्थों, कुछ दवाओं, डायबिटीज, मोटापा और कुछ बीमारियों की वजह से हेपेटाइटिस हो सकता है। हेपेटाइटिस अक्सर एक वायरस की वजह से होता है, जिसे हम वायरल हेपेटाइटिस कहते हैं।
वायरल हेपेटाइटिस कितने प्रकार का होता है?
हेपेटाइटिस वायरस 5 प्रकार के होते हैं – ए, बी, सी, डी और ई
हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई कम समय तक रहने वाले संक्रमण हैं और इन्हें एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस कहा जाता है। ये संक्रमण मुख्य रूप से मल-मार्ग से फैलते हैं, और इनकी वजह आमतौर पर खराब स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई से संबंधित खराब स्थितियां होती हैं। भारत में, एचएवी संक्रमण बचपन के दौरान आम है, जबकि हेपेटाइटिस ई वयस्कों को अधिक होता है। हर साल मॉनसून के दौरान ऐसे मामलों में अचानक तेज़ी आती है। ज्यादातर मामलों में संक्रमण धीरे-धीरे खुद ही ठीक हो जाते हैं; हालांकि, जब इनकी वजह से एक्यूट लिवर फ़ेलर (एएलएफ़) की स्थिति पैदा होती है, तो कुछ गंभीर और जानलेवा भी हो सकते हैं। यह देखा गया है कि गर्भवती महिलाओं के हेपेटाइटिस ई से संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है और उन्हें एएलएफ़ होने की संभावना ज़्यादा होती है।
दूसरी ओर, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी, संक्रमित रक्त, वीर्य और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फ़ैलते हैं। यह संक्रमण दूषित रक्त और रक्त उत्पादों, चिकित्सा प्रक्रियाओं के दौरान दूषित इंजेक्शन, आईवी ड्रग का इस्तेमाल करने, संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने और संक्रमित मां से जन्म लेने से फ़ैलते हैं। हेपेटाइटिस बी और सी दोनों गंभीर संक्रमण हैं, जिनमें हो सकता है कि सालों तक कोई लक्षण दिखाई न दे। जब इनके लक्षण दिखना शुरू होते हैं, तो लिवर की यह बीमारी गंभीर रूप ले चुकी होती है, जिसमें सिरोसिस, लिवर फ़ेल होना या कैंसर शामिल है। हेपेटाइटिस बी, तंबाकू के बाद कैंसर होने का दूसरा सबसे आम कारण है।
हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं?
एक्यूट हेपेटाइटिस में थकान, फ्लू जैसे लक्षण, गहरे रंग का मूत्र, पीला मल, पेट में दर्द, भूख न लगना, मतली और उल्टी, के साथ ही त्वचा और आंखों में पीलापन आना जैसे लक्षण दिखते हैं। क्रोनिक हेपेटाइटिस धीरे-धीरे विकसित होता है, इसलिए संकेत और लक्षणों को नोटिस करना मुश्किल है।
हेपेटाइटिस से जुड़े मिथक?
ज्यादातर मामलों में, एक्यूट हेपेटाइटिस अपने आप ठीक हो जाता है और इसके लिए आपको अपने चिकित्सक की सलाह के अनुसार परहेज बस करना पड़ता है। आपको पीलिया ठीक करने के लिए देसी उपचार नहीं करने चाहिए, जो कई मामलों में आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। आहार संबंधी प्रतिबंध नहीं है और उबला हुआ भोजन खाने या गन्ने के रस के रूप में अतिरिक्त शक्कर खाने की कोई ज़रूरत नहीं है। इसके अलावा, आपको अपने आहार में पीले खाने की चीजें लेना बंद नहीं करना चाहिए, विशेष रूप से हल्दी।
हेपेटाइटिस बी और सी से जुड़े कई मिथक हैं। ये वायरस केवल संक्रमित शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फ़ैलते हैं, न कि छूने, घर में एक साथ रहने या एक ही कार्यालय में काम करने से।
हम वायरल हेपेटाइटिस को कैसे रोक सकते हैं?
स्वच्छता स्थितियों को सुधारकर और सुरक्षित, स्वच्छ पेयजल का इस्तेमाल करके हेपेटाइटिस ए और ई को रोका जा सकता है। हाथ की स्वच्छता बनाए रखना, कच्चे या कटे हुए फ़ल, अधपकी सब्जियां या नॉनवेज खाना खाने से बचना वायरस को रोकने के प्रभावी तरीके हैं। हेपेटाइटिस ए के लिए टीके उपलब्ध हैं, जिनमें से दो टीके 1 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों को 6 महीने के अंतर में दिए जाने की सिफ़ारिश की जाती है।
हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण को काफ़ी हद तक रक्त और रक्त उत्पादों की अच्छी तरह से जांच करके, ऊतक और अंग दाताओं की नियमित जांच करके और गर्भवती मांओं की नियमित जांच करके रोका जा सकता है। हमें इंजेक्शन, रेजर या टूथब्रश साझा करने से बचना चाहिए। गर्भ निरोधकों (जैसे कंडोम) के उपयोग और सुरक्षित यौन संपर्क के बारे में पर्याप्त शिक्षा देना भी समय की मांग है। हेपेटाइटिस बी के टीके भारत में उपलब्ध हैं और इन्हें 0, 1 और 6 महीने के निर्धारित समय पर सभी को दिया जाना चाहिए।
वायरल हेपेटाइटिस दुनिया भर में 325 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रहा है। आइए हम इससे लड़कर वायरल हेपेटाइटिस से मुक्त दुनिया बनाएं।